Kullu Tirthan Valley को निगल चुकी होती यह Power Hydro Project-अगर दिले राम शबाब न होते

Kullu Tirthan Valley को निगल चुकी होती यह Power Hydro Project-अगर दिले राम शबाब न होते   

Kullu Tirthan Valley को निगल चुकी होती यह Power Hydro Project-अगर दिले राम शबाब न होते


.तीर्थन घाटी को निगल चुकी होती यह पावर हाइड्रो परियोजना 
.अगर दिले राम शबाब न होते
.विश्व के मानचित्र की सुर्खियों में ’ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क’ 
.आइए जाने कौन है यह शख्शियत शेरे सराज दिले राम शबाब
.कुल्लू और सराज घाटी में चलाया जनजागरण अभियान 
.ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क की दिले राम शबाब ने की थी परिकल्पना   
.तीर्थन वैली में विदेशी और प्रवासी लोगों के प्रति रहे चिंतित
.स्थानीय लोगों और देवी देवताओं ने खदेडे थे प्रोजेक्ट संस्थापक

 Himachaltoday.in

दुआ ये है कि बंजार घाटी में एक सजग पहरेदार और उम्मीद का चिराग दिले राम शबाब के रूप में यूं ही जलता रहे। पर्यावरण और प्रकृति संरक्षक दिले राम शबाब की समृति को लेकर डॉक्टर पी.डी. लाल ने कहा कि अगर बंजार विधान सभा क्षेत्र के शेरे सराज के नाम से प्रसिद्ध पूर्व विधायक स्व. दिले राम शबाब न होते तो कुल्लू जिला की मशहूर तीर्थन घाटी को यह पावर हाइड्रो परियोजना कब की निगल चुकी होती। हिमाचल प्रदेश के सराज क्षेत्र में आने वाली तीर्थन नदी के तट पर बसी रमणीय घाटी में बसा 'ग्रेट हिमालयन नॅशनल पार्क' पिछले कुछ वर्षों से विश्व मानचित्र की सुर्ख़ियों में है।

विश्व के मानचित्र की सुर्खियों में ’ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क’ 

डॉक्टर पी.डी. लाल ने पत्रकार वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश की कुल्लू जिला के सराज क्षेत्र में आने वाली तीर्थन नदी के तट पर बसी रमणीय घाटी में वसा ’ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क’ पिछले कुछ वर्षों से विश्व के मानचित्र की सुर्खियों में छाया हुआ है। इससे पहले भी इस घाटी में पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए थे। ऐसा नहीं है कि हिमाचल प्रदेश के अन्य स्थानों की भांति इस रमणीय देवभूमि स्थली पर पूंजीवादी दानवों की दृष्टि नहीं पड़ी।

परन्तु इस क्षेत्र का नेतृत्व करने वाले एक जागरूक और उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त एक जागरूक दूरदर्शी नेता, अपने इलाके का चिंतन और सामाजिक कार्यकर्ता दिले राम शबाब के रहते यहां जीवन संरक्षित रहा है।  

यहां परिंदे, जानवरों, कीट पतंगों व अन्य जीव जंतुयों एवं तीर्थन नदी में उन्मुक्त विचरण करने वाली ट्राउट मछलियों उन्मुक्त आसमान छूते हुए हरे भरे लहराते हुए बड़े बड़े देवदार व अन्य खुशबूदार प्राकृतिक रूप के जंगली फूलों सहित अनेक छोटे छोटे जंगली जीव जंतु हर तरह के खतरों से महफूज रहे है।  

उन्होंने कहा कि इन्हीं जंगली जीव जंतुयों के कारण आज तीर्थन नदी के वाम तट के आस पास बसी हुई सराज घाटी आज भी ताजी हवायों की संवाहक बनी हुई है। यहां की नदी का निर्मल व शीतल इतना साफ सुथरा है कि ट्राउट मछलियों बेखौफ हो कर यहां से वहां पर अठखेलियां करती हुई साफ नजर आती हैं, शायद आप सोच रहे होंगे कि ये शेरे सराज दिले राम शबाब आखिर कौन शख्शियत है ?

आइए जाने कौन है यह शख्शियत शेरे सराज दिले राम शबाब

परिचयः दिले राम शबाब तीर्थन नदी के तट पर बसे शाईरोपा निवासी 96 वर्षीय उस नेता का नाम है, जो अब भी अपने क्षेत्र की मूलभूत सुविधा स्वास्थ, ओर स्वस्थ पर्यावरण के लिए अंत तक लड़ाई लड़ते रहे। दिले राम शबाब सराज क्षेत्र के सन 1967 से 1977, तक लगातार दो बार बतौर विधायक स्थानीय क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके है। तत्कालीन शिक्षा मंत्री लाल चंद प्रार्थी, जिन्हें चांद कुलव्वी के नाम से जाना जाता था, इन दोनों दिग्गज नेताओं के यशवंत सिंह परमार और राम लाल ठाकुर के साथ मधुर संबंध रहे। दिले राम शबाब पंजाब सरकार में एक पटवारी की सरकारी नौकरी करने के बाद लोक सम्पर्क विभाग में भी बतौर पी.आर.ओ. और पर्यटन अधिकारी भी रह चुके हैं। 

इलाके के प्रबुद्ध और बुजुर्गों से यह भी पता चला कि किसी समय जब कुल्लू घाटी में इलाके में कोई आपदा आई और भुखमरी जैसी हालत पैदा हुए थे, तो उस समय दिले राम शबाब को खाद्य आपूर्ति विभाग में उच्च अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी गई थी। पंजाब सरकार में भी इनके कार्यकाल को खूब पसंद किया गया था। 

कुल्लू और सराज घाटी में चलाया जनजागरण अभियान 

चांद कुलव्वी लाल चन्द प्रार्थी की जोड़ी ने समूचे कुल्लू और सराज घाटी में जनजागरण अभियान चलाया और सक्रिय राजनीति में आ कर बंजार विधान सभा क्षेत्र का दस साल तक प्रतिनिधत्व किया। उसने सराहनीय प्रयास से सराज घाटी के अस्तित्व को बचाया रखने में कामयाब रहे। 

ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क की दिले राम शबाब ने की थी परिकल्पना 

तीर्थन घाटी में ‘‘ग्रेट हिमालयन नैशनल नेचर पार्क‘‘ भले ही आज बना हुआ है। लेकिन इस ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क की परिकल्पना दिले राम शबाब ने कई साल पहले ही कर रखी थी। दिले राम शबाब तीर्थन नदी के ( क्रिस्टल वॉटर) निर्मल जल की कल कल करती हुई आवाज को संगीत समझते थे। वे समझते थे, कि इस हरी भरी तीर्थन वैली में पावर हाइड्रो परियोजना नहीं बल्कि इस वैली में पर्यटन की मजबूत नींव रखी जा सकती हैं। जिससे स्थानीय लोग अपनी आजीविका का साधन जुटा सके, और तीर्थन वैली का आस्तित्व भी बचाया जा सके। 

तीर्थन वैली में विदेशी और प्रवासी लोगों के प्रति रहे चिंतित

उनकी दूरदर्शी सोच के फलस्वरूप आज समूचे बंजार वैली में सैंकड़ों होम स्टे ओर होटलो में बाहर से आए पर्यटक शांति और सकून से कुछ दिन बिताने के लिए आते हैं। 

डॉक्टर पी.डी. लाल कहते है कि दिले राम शबाब से जब मुलाकात हुई। उस मुलाकात के दौरान उन्होंने हमसे जो कीमती बाते की थी। वह उनके उच्च शिक्षा प्राप्त होने के साथ एक दूरदर्शी व्यक्तित्व को भी उजागर करता है। उन्हें ये चिंता सताती थी कि तीर्थन वैली में विदेशी और बाहरी प्रवासी लोगों का इस शांत घाटी पर कब्जा न करें। उन्होंने ये चिंता भी जताई थी कि तीर्थन घाटी पर विदेशी लोगों की घुसपैठ की आहट सुनाई देने लगी है। यह इस शांत घाटी के लिए खतरे की घंटी बज रही हैं, लेकिन उन्होंने ये भी चेताया कि उनके होते हुए विदेशी लोगों के मनसूबे पूरे नहीं होने देंगे। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया था कि तीर्थन वैली में घुसने से पहले उन घुसपैठियों को दिले राम शबाब से टकराना होगा। 

रद्द करना पड़ा था 9 पावर हाइड्रो परियोजना का फैसला 

दिले राम शबाब तीर्थन घाटी में रची बसी शुद्धता को बचाए रखने से प्रेरणा मिलती है, हैरतअंगेज ये है कि दिले राम शबाब ने तीर्थन खड्ड के दायरे में पलाहच से लारजी तक बहने वाली नदी एवं इस तीर्थन नदी का जलस्तर को बढ़ाने वाली सहयोगी नदियों, जैसे जीभी, गाढ़ा गुशेनी, कलवारी, आदि नदियों पर लघु पन बिजली के लिए मंजूर किए गए 9 प्रॉजेक्ट को सरकार को अपना फैसला पलटने पर मजबुर कर दिया था। सरकार को भी मंत्रिमंडल की बैठक बुला कर इन मंजूर किए गए 9 पावर हाइड्रो परियोजना का फैसला रद्द करना पड़ा था। शेरे सराज दिले राम शबाब ने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल मुख्य मंत्री, और ऊर्जा के सचिव अन्य दरवाजे खटखटाए और सफलता भी हासिल की, गौर है कि दिले राम शबाब के प्रयासों की वजह से ही हिमाचल प्रदेश के निर्माता एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉक्टर यशवंत सिंह परमार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1976 में तीर्थन खड्ड पर किसी प्रकार के कोई भी प्रोजेक्ट लगाने पर प्रतिबंध पहले ही लग चुका था, दिले राम शबाब ने अपने सुपुत्र राजू भारती के माध्यम से वर्ष 2002 में इंटरवेंशन याचिका दायर की थी और 2006 में जीत का सेहरा तीर्थन घाटी की आम जनता के सर पर लगा था।

स्थानीय लोगों और देवी देवताओं ने खदेडे थे प्रोजेक्ट संस्थापक

एक प्रस्तावित प्रोजेक्ट संस्थापक के.सी. लूणावत ने जब तीर्थन घाटी में जबरन घुसना चाहा था तो दिले राम शबाब की अध्यक्षता तीर्थन घाटी के हजारों ग्रामीणों पंचायत प्रधानों उप प्रधानों देवी देवताओं के कारदारों महिला सहायता समूह युवक मंडल महिला मंडलों ने मशाल जलूस निकाल कर उन्हें तीर्थन वैली से वापस खदेड़ दिया था। इस कारण आज तीर्थन घाटी स्वस्थ पर्यावरण के कारण विश्व के मान चित्र पर उभरी हैं। 

बंजार घाटी में जे.एन.यू. सेवानिवृत प्रोफेसर डॉक्टर वरयाम सिंह कहते है कि दिले राम शबाब ने लाहौर से उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वानविद भी थे, ओर डॉक्टर वरयाम सिंह कहते हैं कि मेने भी दिले राम शबाब से बहुत कुछ सिखा है, डॉक्टर वरयाम सिंह कहते हैं कि दिले राम शबाब की अंग्रजी भाषा में बहुत मजबूत पकड़ थी, दिले राम शबाब एक अच्छे लेखक भी थे, और उर्दू भाषा के माहिर थे, तभी उनका शायराना अंदाज रहता था, ऐसा भी बताया जा रहा है कि दिले राम शबाब मशहूर शायर शकील बदायूनी एक ही गुरु के अधीन शायरी और लेखन की सलाह ली इसी रुचि के चलते उनकी एक पुस्तक "kullu himalyan abode of the divine," भी प्रकाशित हुई है।

2 फरवरी 1922 को एक साधारण परिवार में जन्मे 96 वर्ष की उम्र में एक और पुस्तक प्रकाशित करने की तैयारी में लगे हुए थे, जिसे विश्व विख्यात प्रकाशक, ‘‘हे हाउस ‘‘प्रकाशित करने जा रहा है, उनको धर्म पत्नी 85 वर्षीय पुष्पा शबाब के साथ जीवन यापन कर रहे इस विद्वान चिंतक और नेता ने अपने जीवन में जिस प्रकार की गति बनाई थी। हिमाचल प्रदेश के लेखकों का एक दल उनसे मिलने उनके घर पर गया था, लेखक दिल जिसका श्रेय निरंजन देव शर्मा को जाता है उनके साथ कुलराजीव पंत, सुरेश सेन, निशांत, अजय, मुरारी शर्मा, आत्मा रंजन और ट्रिब्यून के मंडी संवादाता दीपेंद्र मांटा आदि उनसे मिलने पर बेहद खुश हुए थे। 

अजेय लाहुल स्पीति में बन रहे प्रोजेक्ट को लेकर चिंतित, दिख रहे थे, उन्होंने भी अपने लाहुल स्पीति क्षेत्र में बन रहे प्रोजेक्ट से बचाने के लिए दिले राम शबाब से बहुत सी बाते समझी थी। बहरहाल दुआ ये है कि बंजार घाटी में एक सजग पहरेदार और उम्मीद का चिराग दिले राम शबाब के रूप में यूं ही जलता रहे।

...डोला सिंह महंत की विशेष रिपोर्ट. 

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